Vishveshwarya Jayanti Biography
सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वर जीवन परिचय | Biography of Vishveshwarya Jayanti | Vishveshwarya Jayanti ka jivan parichay | विश्वेश्वर्या जयंती की जीवनी | Vishveshwarya Jayanti ka jivan parichay in hindi
सर मोक्षगुंडम के सी आई ई,ए एस सीलोकप्रिय रूप केसर एमवी के रूप में जाने जाते हैं। जीवनकाल 15 सितंबर 1861 – 12 अप्रैल 1962,जो एक भारतीय इंजीनियर, विद्वान, राजनेता और। 12 से 18 तक सेवा करने वाले मैसूर के उन्नीसवीं दीवान थे।
Vishveshwarya Jayanti जीवन परिचय
उन्हें 1955 में भारत का सर्वोच्च सम्मान,। भारत रत्न मिला। 15 सितंबर को भारत में अभियंता दिवस। के रूप में मनाया जाता है। उन्हें भारत के पूर्व प्रतिष्ठित अभियंता के रूप में उच्च सम्मान में रखा जाता है। वह मंड्या जिले के कृष्णराज सागर बांध के निर्माण और हैदराबाद शहर के लिए बाल संरक्षण प्रणाली के मुख्य अभियंता के निर्माण के लिए मुख्य अभियंता जिम्मेदार थे।
Biography of Vishveshwarya Jayanti
एक बार कुछ भारतीयों को अमेरिका में कुछ फैक्ट्रियों की कार्यप्रणाली देखने के लिए भेजा गया फैक्टरी के एक ऑफिसर ने एक विशेष मशीन की तरफ इशारा करते हुए कहा, अगर आप इस मशीन के बारे में जानना चाहते हैं तो आपको इसे पिचहत्तर फुट ऊंची सीढ़ी पर चढ़कर देखना होगा।भारतीयों का प्रतिनिधित्व कर रहे सबसे उम्रदराज व्यक्ति ने कहा ठीक है
हम अभी चढ़ते हैं। यह कहकर वह व्यक्ति तेजी से सीढ़ी पर चढ़ने के लिए आगे बढ़ा ज्यादातर लोग सीढ़ी की उचाई से डर कर पीछे हट गए तथा कुछ उस व्यक्ति के साथ हो लिए। शीघ्र ही मशीन का निरीक्षण करने के बाद उस शख्स नीचे उतर आया केवल तीन अन्य लोगों ने ही उस कार्य को अंजाम दिया यह व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि डॉ एम विश्वेश्वरैय्या थे जो कि सर एमवी के नाम से भी विख्यात थे।
Vishveshwarya Jayanti वयोवृद्ध डॉक्टर विश्वेशरैया
, दक्षिण भारत के मैसूर कर्नाटक को एक विकसित एवं समृद्धशाली क्षेत्र बनाने में एंबी का अभूतपूर्व योगदान है। तकरीबन 55 वर्ष पहले जब देश स्वतंत्र नहीं था तब कृष्णराज सागर बांध, भद्रावती आयरन एंड स्टील वर्क्स, मैसूर संदल ऑयल ऐंड सो फै क्ट्री,, मैसूर विश्वविद्यालय,, बैंक ऑफ मैसूर समेत अन्य कई महान उपलब्धियों तन्वी ने कड़े प्रयास से ही संभव हो पाई इसलिए इन्हें कर्नाटक का भगीरथ भी कहते हैं। जब वह केवल 32 वर्ष के थे, उन्होंने सिंधु नदी से सुक्कुर कस्बे को पानी की पूर्ति भेजने का प्लान तैयार किया जो सभी इंजीनियरों को पसंद आया।
सरकार ने सिंचाई व्यवस्था को दुरुस्त करने के उपायों को ढूंढने के लिए समिति बनाई इसके लिए एमडी ने एक नए ब्लॉक सिस्टम को इजाद किया। उन्होंने स्टील के दरवाजे बनाए जो कि बांध से पानी के बहाव को रोकने में मदद करता था उनके इस सिस्टम की प्रशंसा ब्रिटिश अधिकारियों ने मुक्तकंठ से की।पूरे विश्व में प्रयोग में लाए जा रही है विश्वेश्वरैय्या ने मूसा व ईसा नामक दो नदियों के पानी को बांधने के लिए भी प्लान तैयार किए इसके बाद उन्हें मैसूर का चीफ इंजीनियर नियुक्त किया गया।
Vishveshwarya Jayanti
उस समय राज्य की हालत काफी बदतर थी।, विश्वेश्वरैय्या लोगों की आधारभूत समस्याओं जैसे अशिक्षा, गरीबी, बेरोजगारी, बीमारी को लेकर भी चिंतित थे। फैक्ट्रियों का अभाव सिंचाई के लिए वर्षा जल पर निर्भरता तथा खेती के पारंपरिक साधनों के प्रयोग के कारण समस्याएँ जस की तस थी। इन समस्याओं के समाधान के लिए विश्वेश्वरैय्या ने इकोनॉमिक कॉन्फ्रेंस के गठन का सुझाव दिया मैसूर के कृष्णराज सागर बांध का निर्माण कराया।
कृष्णराज सागर बांध के निर्माण के दौरान देश में सीमेंट नहीं बनता था इसके लिए इंजीनियरों ने मोर्टार तैयार किया जो सीमेंट से ज्यादा मजबूत था। इसके लिए इंजीनियरों ने मोटर तैयार किया 1912 में विश्वेश्वरैय्या को मैसूर के महाराजा ने दीवान यानी मुख्यमंत्री नियुक्त कर दिया।
वह उद्योग को देश की जान मानते थे इसलिए उन्होंने पहले से मजबूत उद्योग जैसे सिल्क, संदल,, मेटल,, स्टील आदि को जापान बैठ लिखे विशेषज्ञों की मदद से और अधिक विकसित किया। धन की जरूरत को पूरा करने के लिए उन्होंने बैंक ऑफ मैसूर खुलवाया योग उद्योग धंधों को विकसित करने में किया जाने लगा। 1918 में विश्वेश्वरैय्या दीवान पद से सेवानिवृत्त हो गए औरों से अलग विश्वेश्वरैय्या ने 44 वर्ष तक और सक्रिय रहकर देश की सेवा की।
सेवानिवृत्त के 10 वर्ष बाद भद्रा नदी में बाढ़ आ जाने से भद्रावती स्टील फैक्टरी बंद हो गई। फैक्टरी के जनरल मैनेजर जो एक अमेरिकन थे, नई स्थिती बहाल होने के छह महीने का वक्त मांगा जो कि विश्वेश्वरया को बहुत अधिक लगा। उन्होंने उस व्यक्ति को तुरंत हटाकर भारतीय इंजीनियरों को प्रशिक्षित कर तमाम विदेशी इंजीनियरों की जगह नियुक्त कर दिया। मैसूर में ऑटोमोबाइल तथा एयरक्राफ़्ट फैक्टरी की शुरुआत करने का सपना मन में संजोए विश्वेश्वरैय्या ने 1935 में इस दिशा में कार्य शुरूक्या।
Vishveshwarya Jayanti
1952 में वह पटना गंगा नदी पर राजेंद्र सेतु पुल निर्माण की योजना के संबंध में गए। उस समय उनकी आयु बानवे थी। तपती धूप थी और साइट पर कार से जाना संभव नहीं था। इसके बावजूद वह साइट पर पैदल ही गए और लोगों को हैरत में डाल दिया। विश्वेश्वरैय्या ईमानदारी, त्याग, मेहनत इत्यादि जैसे सद्गुणों से संपन्न थे। उनका कहना था कार्य जो भी हो लेकिन वह इस ढंग से किया गया हो कि वह दूसरों के कार्य से श्रेष्ठ हो।