Kaka Kalelkar | Biography | काका कालेलकर का जीवन परिचय
काका कालेलकर की जीवनी | काका कालेलकर का जीवन परिचय | Biography of Kaka Kalelkar | Kaka Kalelkar ki Biography | Kaka Kalelkar Ka Jivan parichay
जीवन परिचय Kaka Kalelkar Biography
काका कालेलकर का जन्म सन 1885 में महाराष्ट्र के सतारा जिले में हुआ था। मातृभाषा मराठी के अलावा हिंदी, गुजराती, बंगला, अंग्रेजी आदि भाषाओं पर इनका अच्छा अधिकार था। जिन राष्ट्रीय नेताओं तथा महापुरुषों ने राष्ट्र भाषा के प्रचार प्रसार कार्य में विशेष दिलचस्पी ली उनकी प्रथम पंक्ति में काका कालेलकर का नाम आता है। उन्होंने राष्ट्र भाषा के प्रचार को राष्ट्रीय कार्यक्रम के अंतर्गत माना।
दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के सन 1900 अड़तालीस के अधिवेशन में भाषण करते हुए काका कालेलकर ने कहा था – हमारी राष्ट्रभाषा प्रचार एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है। हिंदी के अलावा गुजरात में भी उन्होंने कार्य किया है।उन्होंने महात्मा गाँधी, रवीन्द्रनाथ ठाकुर और टंडनजी के निकट संपर्क में आने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। वे दो बार राज्यसभा के सदस्य रहे। सन 1969 मेंउन्हें पद्मविभूषण की उपाधि से सम्मानित किया गया। 21 अगस्त, 1981 को उनका स्वर्गवास हो गया।
साहित्यिक परिचय
काका साहब उच्च कोटि के विचारक तथा विद्वान थे। भाषा के प्रचार खोने के साथ साथ उन्होंने हिंदी और गुजराती में मौलिक रचनाएं भी की। सरल और ओजस्वी भाषा में विचारात्मक निबंध के अतिरिक्त पर्याप्त यात्रा साहित्य भी लिखा। इनकी भाषा शैली अत्यधिक सजीव और प्रभावपूर्ण है। उनकी दृष्टि बड़ी पैनी है। इसलिए इसलिए उनकी लेखनी से प्राय से सजीव चित्र बन पड़ते जो मौलिक होने के साथ साथ नित्य नवीन नित्य नवीन दृष्टिकोण प्रदान करते हैं।
क्या काले नगर का साहित्य निबंध, संस्मरण जीवनी, यात्रा व्रतरूप में उपलब्ध होता है। है अध्यता होने के कारण पूरा उनकी रचनाओं में प्राचीन भारत की झलक मीलती है। हिंदी भाषा क्षेत्र के लेख को मैं काकासाहब मंजे हुए लेखक थे। किसी भी सुंदर दृश्य का वर्णन अथवा जटिल समस्या का सुगम विश्लेषण इनके लिए आनंद का विषय था।
रचनाएँ काका कालेलकर Kaka Kalelkar
मराठी भाषी काका साहब ने अपनी अधिकतर रचनाएँ गुजराती में लिखी है। संस्मरण, यात्रा,, सर्वोदय, हिमालय,प्रवास, लोग माता, उस पार के पड़ोसी, जीवन लीला, बाबू की झांकियां, जीवन का काव्य विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं
भाषा काका कालेलकर Kaka Kalelkar
काका कालेलकर की भाषा सरल, सुबोध तथा परवाह पूर्ण है उन्होंने व्यावहारिक भाषा का प्रयोग किया जिसमे और दुखे प्रचलित शब्द भी प्रयुक्त हुए हैं यात्रा डुबा की योजना के तहत रोष भी मिलते हैं। मुहावरे के प्रयोग के कारण इनकी भाषा में सजीवता आ गई है।
शैली
काका कालेकर की शैली प्रमुख तीन रूप मिलते हैं
- वर्णनात्मक शैली
- विवेचनात्मक शैली
- आत्मकथात्मक शैली