सेठ गोविंद दास जीवन परिचय | Biography of Seth Govind Das
सेठ गोविंद दास का जन्म जबलपुर मध्यप्रदेश के एक संपन्न धार्मिक परिवार में 1896 ईस्वी में
हुआ था। सेठ जी ने घर पर ही अंग्रेजी और हिंदी का गंभीर अध्ययन किया बचपन से ही बल्लभ सम्प्रदाय में होने वाले उत्सव लीलाओं और नाटकों से भी प्रभावित थे। उनका परिवार धार्मिक आचार विचारों वाला था जिससे वे प्रभावित हुए बिना नहीं रहेते नाटक लिखने की प्रेरणा बचपन में ही जाग्रत हो गई थी। उनका पहला नाटक विश्व प्रेम परिवार द्वारा स्थापित श्री शारदा भवन पुस्तकालय के वार्षिक उत्सव के लिए लिखा गया था।

सेठ गोविंद दासजी एक कुशल राजनीतिज्ञ थे उनका अधिकांश जीवन भारत की सक्रिय राजनीति में बीता। गांधीजी के निकट सम्पर्क में रहें और अनेक बार जेल गए उनके अधिकांश रचनाएं जेल में ही लिखी। देश के स्वतंत्र होने पर वे संसद सदस्य बने और आजीवन इस पद पर बने रहे। हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने में आप का महत्वपूर्ण योगदान रहा है सन 74 में सेठ जी का स्वर्गवास हो गया।
रचनाएँ
आपके प्रमुख एकांकी संग्रह निम्नलिखित है – सप्तर्षि मी, अष्टादश, एकादशी, पंचभूत, चतुष्पथ, आपबीती जगबीती।
सेठ गोविंद दासने मुख्य नाटक और एक की ही लिखे हैं उनके एकांकियों पर इम सन अनिल आदि की शैली का विशेष प्रभाव है किंतु उनकी भावभूमि भारतीय जीवन धारा से ग्रहण की गई है। उनके एकांकियों के विषय पौराणिक युग से आरंभ होकर विभिन्न ऐतिहासिक युगों को समेटे हुए आधुनिक सामाजिक, राष्ट्रीय और राजनीतिक धरातल तक विस्तृत है। उनके जीवन दर्शन पर गांधीवाद का गहरा प्रभाव है। सेठ गोविंद दासजी के कुछ अंकों की समस्या प्रधान कुछ पत्रों की अंत व्यक्तियों के विशेष पूर्ण व्यक्तित्व और कुछ व्यंग्य विनोद प्रधान पर हसन है।
साहित्य अवदान
उत्तर एकाकी संग्रहों के अतिरिक्त सेठ जी ने सांसद के रूप में जीवन भर हिंदी के अन्यन हेतु कार्य किया। राष्ट्रभाषा के रूप में प्रतिष्ठापित हिंदी उनके सत्रों की आभारी रहेंगी। उनके समस्त एकांकी रंगमंच की दृष्टि से पूर्ण रूपेण सफल है तथा प्रेरणादायी एवं विचारोत्तेजक है।