वनों का महत्व वृक्षारोपण वन महोत्सव |Importance of Forests Tree Plantation Forest Festival
भारत की प्राचीन संस्कृति में वर्षों का अत्यधिक महत्व दिया गया है। कुछ वृक्षों को तो पवित्र समझा जाता था तथा आज भी पीपल तुलसी बरगद आम नीम आंवला केला आदि की पूजा की जाती है। प्राचीनकाल में श्रषि मुनियों के आश्रम वनों में होते थे तथा गुरुकुलों की स्थापना की वनों के सुरम्य वातावरण में ही की जाती थी।
वृक्षों ने मानव सभ्यता तथा मानवता को सदैव सहायता पहुंचाई है। वृक्ष एक समर्थ सहायक शिक्षक तथा मित्र रहे हैं। छायादार वृक्ष हमें छाया प्रदान करते हैं। वनों से दो प्रकार के लोग हैं। प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष वनों को किसी भी देश का प्राण कहा जाता है। वनों से हमें इंधन इमारती लकड़ी, गोंद लाख रबर औषधियां रंग फल फूल आदि पर आप होते हैं। वनों से वातावरण शुद्ध होता है वनों से मिट्टी का कटाव रुकता है।

ढलानों तथा बांधों पर वृक्षारोपण करके वर्षा के कारण होने वाले भूमिक्षरण को रोका जा सकता है वनों से भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाया जा सकता है, क्योंकि वृक्षों की पत्तियां खाद बनाने के काम आती हैं। वनों से वर्षा का भी घनिष्ठ संबंध है। वर्षा का मूल कारण हरे भरे वृक्ष जी हैं। भगवानों में ही अनेक दुर्लभ जीव जंतुओं का निवास होता है। शेर चीते गेंडे हाथी मोर हिरण आदि वनों में ही विचरण और निवास करते हैं।
पक्षियों का कलरव प्रकृति के सुरम्य वातावरण अर्थात वनों में ही मिलता है। दियासलाई वार्निश रेशम प्लाईवुड कागज रब्बर आदि उद्योगों को भी वनों पर निर्भर रहना पड़ता है। भारत में वनों का क्षेत्रफल लगभग 749 वर्ग हेक्टेयर है। यह भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का लगभग 22. 7 प्रतिशत है। भारत में वनों का क्षेत्रफल प्रति व्यक्ति 0.2 हेक्टेयर से भी कम है। स्वतंत्रता से पूर्व वनों की कटाई की गई।
स्वतंत्रता के पश्चात भी यही सिलसिला जारी रहा। वनों की कटाई के कारण आज मिट्टी के कटाव के समस्या उगृ रूप धारण करती चली जा रही है। रेगिस्तान का प्रसार बढ़ता जा रहा है। पहाड़ों पर नदियों के वेग में वृद्धि हो रही है। औद्योगिक विकास के अंतर्गत कारखानों की संस्थापना के लिए वनों को काटा जा रहा है। प्रति वर्ष बांढों से रुपए की संपत्ति का विनाश होता है। यह है वनों के काटे जाने का ही
दुष्परिणाम है। औषधियों पेड़ पौधों का अत्यधिक एकत्रीकरण फालतू पशुओं द्वारा चराई नगरों और ग्रामों का फैलाव वनों की सफाई मोटर मार्गो के विस्तार आदि के लिए आज भी वनों को काटा जा रहा है। पहाड़ों को भी तोड़ा जा रहा है। वन विनाश के लिए विकास योजनाओं की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
आज देश के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि अधिक से अधिक वृक्ष लगाकर पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाएं तथा देश की अर्थव्यवस्था एवं वातावरण को स्वच्छ रखे। यदि आज देश का प्रत्येक व्यक्ति एक एक वृक्ष लगाने का संकल्प करें तो इसके दूरगामी प्रभाव होंगे तथा देश की आर्थिक स्थिति बेहतर होगी। हम ध्यान रखें कि जहां तक हो सके वनों के संरक्षण में अपना योगदान दें।