राहुल सांकृत्यायन की जीवनी | Biography of Rahul Sankrityayan
राहुल सांकृत्यायन जी कौन थे? कहां के रहने वाले थे ? उनके माता-पिता कहां पर रहते थे? आज हम इन सब के बारे में जानेगे…..
राहुल सांकृत्यायन
राहुल सांकृत्यायन माहपंडित की उपाधि दी जाती है हिंदी के प्रमुख साहित्यकार थे वे एक प्रतिष्ठित बहुभाषाविद् थे और बीसवीं सदी के पूर्वार्ध मैं उन्होंने यात्रा वृतांत यात्रा साहित्य तथा विश्व दर्शन के क्षेत्र में साहित्यिक योगदान किया मैं हिंदी यात्रा से हत्या के पितामह कह जाते हैं बौद्ध धर्म पर उनका शुद्ध हिंदी साहित्य में युगांतरकारी माना जाता है जिसके लिए उन्होंने तिब्बत से लेकर श्रीलंका तक भृमण क्या था
राहुल सांकृत्यायन का जन्म सन 1893 मैं उनके ननिहाल गांव पांदहा जिला आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश) में हुआ उनका पैतृक गांव कनैला था उनका मूल नाम केदार पांडेय था उनकी शिक्षा काशी आगरा और लाहौर में हुई सन 1930 में उन्होंने श्रीलंका जाकर बुद्ध धर्म ग्रहण कर लिया तब से उनका नाम राहुल सांकृत्यायन हो गया राहुल जी पालि प्राकृत अपभ्रंश तिब्बती चीनी जापानी रूसी सहित अनेक भाषाओं के जानकार थे सन 1963 में उनका देहांत हो गया
राहुल सांकृत्यायन ने उपन्यास कहानी सत्यमकथा यात्राव्रत जीवनी आलोचना शुद्ध आदि अनेक विद्याओं में साहित्य सृजन किया इतना ही नहीं उन्होंने अनेक ग्रंथों का हिंदी में अनुवाद भी किया|
मेरी जीवन यात्रा 6 भाग
- दर्शन दिगदर्शन
- 22 वी सदी
- वोऌग से गंगा
- भाग नहीं दुनिया को बदलो
- दिमागी गुलामी
- घुमक्कड़ शास्त्र
उनके प्रमुख कृतियॉ है साहित्य के अलावा दर्शन राजनीति धर्म इतिहास विज्ञान आदि विभिन्न विषयों पर राहुल जी द्वारा रचित पुस्तकों की संख्या लगभग 150 है राहुल जी ने बहुत सी लुप्तप्राय सामग्री का उद्धार कर सत्यंत महत्वपूर्ण कार्य किया है
यात्राव्रत लेखन में राहुल जी का स्थान अन्यतम है उन्होंने धुमककड़ी का शास्त्र रचा और उससे होने वाले लाभों का विस्तार से वर्णन करते हुए मंजिल के स्थान पर यात्रा को ही धुमक्कड़ का उद्देश्य बताया धुमक्कड़ी से मनोरंजन ज्ञानवर्धन एवं अज्ञात स्थलों की जानकारी के साथ-साथ भाषा एवं संस्कृति का भी आदान-प्रदान होता है राहुल जी ने विभिन्न स्थानों के भौगोलिक वर्णन के अतिरिक्त वहां के जन जीवन की सुंदर चौकी प्रस्तुत की है