रसखान -जीवन परिचय जीवन परिचय | Biography of Res Khan
रसखान कौन थे? कहां के रहने वाले थे ? उनके माता-पिता कहां पर रहते थे? आज हम इन सब के बारे में जानेगे…..
रसखान सगुण काव्यधारा की कृष्णभक्ति शाखा के कवि थे। इनका वास्तविक नाम सईद इब्राहिम था। ये दिल्ली के पठान सरदार कहे जाते हैं। कुछ विद्वान इन्हें पिहानी का निवासी मानते हैं। किंतु इस विषय में कोई प्रबल प्रमाण उपलब्ध नहीं है। वैसे रसखान किसी बादशाह के वंशज थे। ऐसा प्रेम वाटिका की अधोलिखित पंक्तियों से स्पष्ट है –
इनके जन्म के संबंध में मतभेद है। कुछ विद्वान इनका जन्म 1533 मानते हैं किंतु मिश्रबंधु ने 15 अड़तालीस मानना है। इनका जन्म दिल्ली में हुआ था। ये गुसाईं विट्ठलनाथ के शिष्य हो गए थे। इनका उपनाम रसखान यथा नाम तथा गुण पर आधारित था, क्योंकि इनके एक एक सवैये वास्तव में रस के खान है। सन 1618 में लगभग इनकी मृत्यु हुई
साहित्यिक परिचय
रसखान आराम से ही बड़े प्रेमी व्यक्ति थे।इनका लौकिक प्रेम भगवान कृष्ण के प्रति अलौकिक प्रेम भाव में परिवर्तित हो गया था। ये जितना कृष्ण के रूप सौंदर्य पर मुग्ध थे उतना ही उनकी लीला भूमि ब्रज के प्राकृतिक सौंदर्य पर भी।
कृष्ण के प्रति इनके प्रेम भाव में बड़ी तीव्रता गहनता और आवेशपूर्ण तन्मयता मीलती है। शी कारण इनकी रचनाएँ हृदय पर मार्मिक प्रभाव डालती है। अपने भाव को बल तथा सफलता के कारण इनकी रचनाएँ बड़ी लोकप्रिय हो गई है।
रचनाए
खान की दो पुस्तकें प्रसिद्ध है,सुजान रसखान और प्रेम वाटिका। सुझाव बस खान की रचना कविता और सवैया छंद में हुई है तथा प्रेम वाटिका की दोहा छंद में। सुजान रसखान भक्ति और प्रेमविषयक काव्य है तथा इसमें 139 भावपूर्ण चंद है। प्रेम वाटिका में 25 दोहों में प्रेम के स्वरूप का काव्यात्मक वर्णन है।
भाषा शैली
अन्य कृष्ण भक्त कवियों की भाँति इन्होने परंपरागत पद शैली का अनुसरण नहीं किया। इनकी मुक्तक छंद शा ली की परंपरा रीती काल तक चलती रही। रस खान ने बृज भाषा में काव्य रचना की। इनकी भाषा मधुर एवं सरस है उसका स्वाभाविक प्रवाह ही इनके काव्य को आकर्षक बना देता है।
उन्होंने कहीं कहीं पर यमक तथा अनुप्रास आदि अलंकारों का प्रयोग किया है जिससे भाषा -सौंदर्य के साथ भाव-सौंदर्य की भी वृद्धि हुई है।