भारत की आत्मा गांव में भारत के गांव |Soul of India Village in India Village
महात्मा गांधी ने कहा है_भारत का हदय गांवों में बसता है, भारत माता ग्रामवासिनी है। भारत वर्ष में लगभग छ: लाख गांव हैं। गांवों में रहने वाले किसान ही नगर वासियों के अन्नदाता तथा सृष्टिपालक हैं। गांव देश की रीड़ है। भारत की अर्थव्यवस्था गांवों की दशा पर ही निर्भर है। सैनाको सैनिक, पुलिस को सिपाही तथा उधोग धंधों को मजदूर देने वाले भारतीय गांव अत्यंत पिछड़े हुए हैं।
दरिदृता इनमें वास करती है। अशिक्षा ने उन्हें दबोच रखा है। रोग तथा के भावों के तो अड्डे हैं। यह रोडियो तथा अंधविश्वासों के गढ़ हैं। अधिकांश गांव में चिकित्सा तथा उच्च शिक्षा के साधनों का नितांत अभाव है। गांवों में आज भी सेठ_ साहूकारों का बोलबाला है, जो निर्धन किसानों का शोषण कर रहे हैं।

गांव की दुर्दशा का मुख्य कारण है-शिक्षा का अभाव। अशिक्षा,अज्ञान की जननी है। गांव के अशिक्षित किसान छोटी-छोटी बातों पर झगड़ते झगड़ते मुकदमेबाजी पर उतर आते हैं तथा कमाया धन वकीलों की जेबों में बरते रहते हैं। मुकदमेबाजी के कारण इन्हें सेठ साहूकारों से ऋरण भी लेना पड़ता है, जो आजीवन चुकाया नहीं जा सकता। विवाह पुत्र जन्म तथा अन्य उत्सवों पर अपनी क्षमता से अधिक रुपया खर्च करके दूसरों पर रोक डालने की प्रवृत्ति के कारण भारतीय किसान सदा कर्ज के बोझ से दबा रहता है।
Soul of India Village in India Village
आज भी भारत के गांवों में अधिकांश लोग आधुनिक सुख सुविधाओं से वंचित हैं। गांव में गंदगी का वास भी है। शेरों की भारतीय नालियों द्वारा गंदे पानी के विकास की उचित व्यवस्था गांवों में नहीं है। चिकित्सा के आधुनिक सुविधाओं से वंचित अधिकांश भारतीय गांवों में अकाल तथा आसामयिक मृत्यु होना कोई अस्वाभाविक घटना नहीं कही जाती। भारत के अधिकांश गांव में रोडियों तथा अंधविश्वास का भीम बोलबाला है। इसके कारण उनकी जीवन दृष्टि अत्यंत संकुचित है।
हष का विषय है कि स्वतंत्रता के बाद गांवों की दशा सुधारने के प्रयासों में तेजी आई। आर्थिक शोषण से मुक्ति दिलाने के लिए सहकारी बैंकों की कई शाखाओं का गांवों में खोला जाना जमीदारी-प्रथा का उन्मूलन तथा भूमि कानून में संशोधन करके भूमि सीमा का निश्चित किया जाना गांवों की दशा सुधारने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। गांवों में शिक्षा का प्रसार हो रहा है तथा प्रोढ़ शिक्षा पर भी बल दिया जा रहा है।
सरकार ने किसानों को खेती के नए नए तरीके बताइए हैं। अच्छे किस्म की खाद बीज तथा यंत्र भी उपलब्ध कराए गए हैं। आज किसान का अन्न सरकार ही निश्चित मूल्य पर खरीदकर सेठ साहूकारों के शोषण से किसानों को बचाती है। ग्रामीण लोगों को कुटीर उधोगों तथा विभिन्न प्रयासों का प्रशिक्षण भी विद्या जाने लगा है। गांवों में बिजली पीने का पानी तथा पक्की सड़कों का प्रबंध भी धीरे-धीरे होता जा रहा है। गांवों में टी: वी का प्रयोग पिछले कई वर्षों में बहुत बढा है।