गोस्वामी तुलसीदास जीवन परिचय | Biography of Goswami Tulsidas
गोस्वामी तुलसीदास जी कौन थे? कहां के रहने वाले थे ? उनके माता-पिता कहां पर रहते थे? आज हम इन सब के बारे में जानेगे…..
गोस्वामी तुलसीदास भक्ति काल की सगुण भक्ति धारा की रामभक्ति शाखा के प्रतिनिधि कवि हैं। उनका रामकथा पर आधारित महाकाव्य रामचरितमानस एक विश्व विख्यात रचना है। जिसमें मर्यादा पुरुषोत्तम राम के आदर्श चरित्र के माध्यम से मानव को नैतिक मूल्यों की शिक्षा दी गई है। उनके काव्य में भक्ति, ज्ञान एवं कर्म की त्रिवेणी प्रवाहित हो रही है। तुलसी का काव्य लोकमंगल की भावना से पोत विरोध है तथा उसमें सम वही विराट चेष्ठा की गई है। हिंदी काव्य में गोस्वामी तुलसीदास सर्वश्रेष्ठ कवि के रूप में प्रतिष्ठित हैं तथा आचार्य रामचन्द्र शुक्ल तो उन्हें ऐसा महान कवि मानते हैं जोकवियों का मापदंड बन चूके हैं।
जीवन परिचय
गोस्वामी तुलसीदास 10 के जन्म तथा जन्मस्थान के संबंध में पर्याप्त विवाद है। उनके जीवन परिचय को जानने के लिए महात्मा रघुवर दास द्वारा रचित तुलसी चरित, शिवसिंह सरोज, नामक हिंदी साहित्य का इतिहास ग्रंथ और प्रसिद्ध राम भक्त राम गुलाम द्विवेदी की मान्यताओं का ही आधार ग्रहण किया जाता रहा है।
एक दोहै के आधार पर गोस्वामी तुलसीदास का जन्म सम्वत 1554 विक्रमी अर्थात 1458 ईस्वी में स्वीकार किया जाता है किंतु यह इसलिए स्वीकार नहीं किया जा सकता क्योंकि तब उनकी आयु 126 वर्ष बैठती है जो उचित नहीं लगती। अधिकांश विद्वान गोस्वामी तुलसीदास का जन्म सम्वत 1589 अर्थात 1532 स्वीकार करते जो अधिक तर्क संगत भी है। यद्यपि इनके जन्म स्थान के विषय में विवाद है फिर भी प्रमाणिक रूप में इनका जन्म बांदा जिले के राजापुर ग्राम में हुआ यद्यपि इनके जन्म स्थान के विषय में विवाद है
फिर भी प्रमाणिक रूप में इनका जन्म बांदा जिले के राजापुर ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम आत्माराम दुबे और माता हुलसी था। ब्राह्मण परिवार में उत्पादन तुलसी दास अपने शिष्य से ही अपने माता पिता के संरक्षण से वंचित हो गए थे। तुलसी का बचपन अनेक आपदाओं में व्यतीत हुआ। ऐसे अनाथ बालक का नरहरि दास जैसे गुरु का वरदहस्त प्राप्त हो गया इन्ही की कृपा से गोस्वामी तुलसीदास को वैध पुराण और अन्य शास्त्रों के अध्ययन और अनुशीलन का अवसर मिला। इनका विवाह दीनबंधु पाठक की रूपवती पुत्री रत्नावली से हुआ।
अपनी पत्नी केरूप आकर्षण में बंदकर तुलसी सब कुछ भूल गए। 1 दिन पत्नी ने उनकी भद्र सना की जिससे की उनका प्रेम राम की ओर लग गया। सम्वत 1680 अर्थात सन 1623 ईस्वी में तुलसी ने अपना शरीर त्याग दिया।
तुलसीदास की रचनाएँ
तुलसीदास की प्रमुख रचनाएं हैं –
- रामचरित मानस
- विनय पत्रिका
- कवितावली
- गीतावली
- बरवें रामायण
- राम लाल नछू
- रामाज्ञाप्रश्नावली
- दोहावली
- जानकी मंगल
- पार्वती मंगल
- कृष्ण गीतावली
रामचरित मानस
रामचरित मानस मर्यादा पुरुषोत्तम राम के जीवन चरित्रों को दर्शाने वाला श्रेष्ठ महाकाव्य है, जिसमें तुलसी ने भारतीय संस्कृति, धर्म, दर्शन,भक्ति और कविताओं का अद्भुत समन्वय प्रस्तुत किया है। इस महाकाव्य की रचना अवधी भाषा में तथा दोह चौपाई शैली में की गई है। रामचरित मानस की रचना 1574 मेंअयोध्या में प्रारंभ हुई और उसे दो वर्ष सात माह में समाप्त किया। रचना कौशल प्रबंध , पटुता एवं सहृदयतायदि सारे गुणों का समावेश रामचरित मानस में है।
रामचरित मानस में तुलसीदास केवल कवि के रूप में ही नहीं बल्कि उपदेशक के रूप में भी सामने आते हैं। वास्तव में यह ग्रंथ व्यवहार का दर्पण हैं। इसमें विभिन्न चरित्रों के माध्यम से मानव व्यवहार का आदर्श रूप प्रस्तुत किया गया है। राम का जो स्वरूप इस महाकाव्य में है। वह अन्यत्र दुर्लभ है। तुलसीराम शक्ति, शील एवं सुंदर के भंडार है तथा वे लोक रक्षक है।
अन्य रचनाएँ
- विनय पत्रीका – विनय पत्रीका तुलसी का सर्वोत्तम गति काव्य है। विनय पत्रीका में आतुर भक्तों के हृदय की भावुकता का साकार रूप परिलक्षित होता है। तुलसी की भक्ति भावना का पूर्ण परिपक्व विनय पत्रिका में देखा जा सकता है।
- कवितावली – कवितावली ब्रज भाषा में रचित काव्य है।जिसमें कविता सवैयों में रामकथा का सरस गायन हुआ है।
- गीतावली– गीतावली में भी गायन पदों में राम कथा कही गई है।
- दोहावली- दोहवाली में दोहो के माध्यम से तुलसी ने भक्ति,निति, प्रेम आदि का विवेचन किया है।
हिंदी साहित्य में स्थान
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने गोस्वामी तुलसीदास के महत्व को प्रतिपादित करते हुए कहा है –
गोस्वामी जी का प्रभु भाव हिंदी काव्य के क्षेत्र में एक चमत्कार समझना चाहिए। हिंदी कवियों की शक्ति का पूर्ण प्रसार इनकी रचनाओं में पहले पहल दिखाई पड़ा। इनकी भक्ति रस भरी वाणी जैसी मंगलकारिणी मानी गयी। वैसी और किसी की नहीं। आज राजा से रंक तक के घर में गोस्वामी जी का रामचरितमानस विराज रहा है और प्रत्येक प्रसंग पर इन की चौपाइयां कही जाती है।।